Vol. 11, Issue 1 & 2
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Vol. 11, Issue 1 & 2

Vol.11, Issue 1&2

SHODH SANCHAYAN

Vol.11, Issue.1 & 2, 15 Jul, 2020

ISSN  2249 – 9180 (Online)

Bilingual (Hindi & English)
Half Yearly

Print & Online

Dedicated to interdisciplinary Research of Humanities & Social Science

An Open Access INTERNATIONALLY INDEXED PEER REVIEWED REFEREED RESEARCH JOURNAL and a complete Periodical dedicated to Humanities & Social Science Research.

मानविकी एवं समाज विज्ञान के मौलिक एवं अंतरानुशासनात्मक शोध पर  केन्द्रित (हिंदी और अंग्रेजी)

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Index/अनुक्रम

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समाज में सोशल मीडिया का प्रचलन लगातार बढ़ता जा रहा है। इसलिए विविध कम्पनियॉं भी अपने लाभ के लिए इसका अधिकाधिक उपयोग करने लगी हुई हैं। स्मार्टफोन पर सोशल मीडिया की आसानी से उपलब्धता हो जाने के कारण वर्तमान में इसके उपभोक्ताओं की संख्या में बहुत अधिक बढ़ोत्तरी हुई है। अब यह रेडियो, टीवी एवं प्रिंट माध्यम का न केवल एक बहुत ही जबरदस्त विकल्प बन गया है वरन् ये सभी माध्यम अब स्मार्ट फोन पर भी उपलब्ध होने लगे हैं। सोशल मीडिया की वर्तमान स्थिति को देखते हुए इसके उपयोग के तौर-तरीके के बारे में जानकारी पाने के लिए अध्ययन किये जाने का महत्त्व भी बहुत बढ़ गया है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए सोशल मीडिया के प्रभाव एवं आदत के सन्दर्भ में प्रस्तुत शोध कार्य को सम्पन्न किया गया है। इस अध्ययन से ज्ञात होता है कि सोशल मीडिया का युवाओं में काफी अधिक इस्तेमाल किया जाने लगा है। स्मार्टफोन पर सोशल मीडिया की उपलब्धता ने इसे काफी प्रचारित कर दिया है। इस माध्यम का लोगों के सामाजिक जीवन, दिनचर्या, स्वास्थ्य आदि पर भी काफी प्रभाव पड़ा है।

In the wake of covid-19 outbreak entire mankind across the globe was suffering andyear 2020 will be remembered in future for covid-19 pandemic because it is such a big threat to human being as it can cause severe illness more likely in elderly patients and those with certain underlying medical conditions. The disease transmits by droplets and a small airborne particle of Virus.

An attempt is made to analyse the performance and impact of Gramin Bank of Aryavart in Lucknow district through various parameters collected from bank officials such as number of employees, number of accounts, advances and deposits mobilization and from customers such as sources of information, staff co-operation, decadal difference and suggestions provided by account holders/customers. For the analysis of the qualitative research excel functions of sum, count and proportion has been used. As the collected raw data was in sentence and paragraph form the data was edited, coded, themed and analysed. The study has analysed that even though the woring of GBA has considerably declined, the progress, performance and impact of GBA has significantly improved over time with scope of improvement. The study has reported that there is significant improvement in working of GBA in urban and rural areas and it is also noticable that facilities provide by GBA has increased over a decade.

सन 2020 में कोविड 19 शायद विश्व का सबसे अधिक बोलने, सुनने अधिक प्रचलन में आने वाला शब्द बन गया है। जिसके उच्चारण मान्न्त्र से ही भय की अनुभूति होती है। यह समस्या किसी एक राष्ट््र की समस्या न होकर सम्पूर्ण विश्व की समस्या है। इसके जन्म के समय यह एक स्वास्थ्य समस्या थी लेकिन जैसे ही अपनी सीमाऐं लांध कर यह सम्पूर्ण मानव समाज को प्रभावित करने लगी तब यह एक सामाजिक समस्या का रूप लेने लगी। इसके उन्मूलन के लिये जब बड़े स्तर पर धन की आवश्यकता महसूस होने लगी तब इसे आर्थिक समस्या के रूप में देखा जाने लगा। हर वह समस्या जो संपूर्ण राष्ट को प्रभावित करती है एक राष्ट्रीय समस्या होती है। जिसका समाध शन करना किसी भी राष्ट्र का एक नैतिक कर्तव्य होता हैं। इसी नैतिक कर्तव्य के साथ कोविड 19 के राजनीतिक पक्ष का प्रारंभ होता हैं। वर्तमान समय में इस महामारी की तुलना 1918 में आयी स्पेनिज फ्लु नामक महामारी से की जा रही हैं। उस समय जो बड़ा राजनीतिक परिर्वतन हुआ था। वैसा ही राजनीतिक परिर्वतन कोविड 19 के बाद आने की संभावना हैं। निश्चय ही आने वाला इतिहास कोविड 19 को आधार मानकर राजनीतिक व्यवस्था का आंकलन करेगा तथा चिंतन के साथ कई चुनौती एवं संभावनाओं केा भी जन्म देगा।

COVID-19 epidemic has disrupted the whole world. It developed in China and is now spreading globally. This epidemic is a health crisis affecting the economic development of each nation. This epidemic has disrupted the normal daily life of each nation. The Government of India has declared a lockdown across the country, along with promoting social distance to control the spread of COVID-19. All schools, colleges and Universities have been declared closed due to the epidemic.

ऐतिहासिक विवरणों के माध्यम से ज्ञात होता है कि मानव सभ्यताओं ने मानव जाति व मानव संस्कृति के इतिहास में अनेक अप्रत्याश्ति विभिषिकाओं का सामना किया है। वैश्विक स्तर पर अनेक बार आपदायें आई जो मानव जाति के नियंत्रण से बाहर थी पर मानव ने अपने विवेक, साहस तथा धैर्य से उन आपदाओं पर विजय प्राप्त की एवं अपने विकास रूपी चक्र को सदा गतिशील रखा। समय के साथ अपने सम्मुख उत्पन्न संकटों को चीरते हुए आगे बढ़ने का साहस मानव में मानव सभ्यता के मूल मंत्र ’’संकल्प से सिद्धि’’ के भाव के साथ आता है। यह मूल मंत्र संदेश देता है कि मानव द्वारा जो लक्ष्य निर्धाारित किया जाता उसकी पूर्ति सम्भव है।

21वीं सदी में कोरोना महामारी मानव जाति के समक्ष बड़ी चुनौती है, जिसने मानव जीवन को सस्ता और जिंदगी जीना महंगा कर दिया है ।मेडिकल साइंस की आशातीत तरक्की के बावजूद यह समस्या आम जन-जीवन को संक्रमित कर रही है ।इस विकट परिस्थिति में ईश्वर-अल्लाह-गॉड के किवाड़ तो बंद हैं लेकिन साम्प्रदायिकता के दंगे रोज जारी हैं। ऐसे में आधुनिक सोच की सीमा स्पष्ट नजर आने लगी है । इस संकटकालीन स्थिति में समस्त मनुष्यों का एक ही धर्म और एक ही कर्म है ‘मानव जाति की रक्षा।’

र्वेश्वर दयाल सक्सेना समसामयिक जीवन-शैली में वास्तविकता के आकांक्षी कवि हैं। उनके कविता-संग्रह ‘प्रार्थना’ का मूल ध्येय जन-मानस में परंपरागत जड़ता के विरुद्ध सामर्थ्य और आत्मविश्वास का संचार करना है। किसी के सम्मुऽ नत न होकर संकल्पित इच्छाशत्तिफ़ के साथ जीवन संघर्ष को अंगीकार करने की क्षमता ‘प्रार्थना’ कविता का प्राण-तत्व है। कोरोना काल में क्वॉरन्टीन् होती व्यवस्था में यह कविता आधुनिक समाज में पारंपरिक निष्क्रियता के स्थान पर विज्ञानसम्मत, संघर्षवान तथा आत्मनिर्भर होने के लिए उद्वेलित करती है।

The SFC Act of 1951 was enacted resulting in establishment of 18 SFCs in the country. These Development Financial Institutions had large social mandate as per the prerogative of the State Government. They are the oldest financial institutions. Over the years, they are in poor financial health with question being raised on their efficiency and functioning. Thus, their role needs to be aligned with operational and decision making freedom, technocrat leadership and with diversification of product/service portfolio. This analytical paper focuses on solutions to be adopted by SFCs for improvement in their performances so that they turn into viable State-Level Developmental Financial Institutions. Annual reports of few SFCs and RBI reports have been referred for the analytical review.

An attempt is made to analyse the performance and impact of Gramin Bank of Aryavart in Lucknow district through various parameters collected from bank officials such as number of employees, number of accounts, advances and deposits mobilization and from customers such as sources of information, staff co-operation, decadal difference and suggestions provided by account holders/customers. For the analysis of the qualitative research excel functions of sum, count and proportion has been used. As the collected raw data was in sentence and paragraph form the data was edited, coded, themed and analysed. The study has analysed that even though the woring of GBA has considerably declined, the progress, performance and impact of GBA has significantly improved over time with scope of improvement. The study has reported that there is significant improvement in working of GBA in urban and rural areas and it is also noticable that facilities provide by GBA has increased over a decade.

साहित्य और समाज एस दूसरे के पूरक हैं। साहित्य यदि समाज से सामग्री प्राप्त करता है तो समाज भी साहित्य से दिशा प्राप्त करता है। वास्तविक साहित्य तो वही है जो समाज को प्रतिबिम्बत करे तथा भावी समाज के निर्माण के लिए आधार प्रदान करे। यह तभी सम्भव है,जब साहित्य में सामाजिकौचित्य का पालन किया जाये। इस अधयाय में भवभूति के रूपक में समाजगत-औचित्य पर प्रकाश डाला गया है। भवभूति स्वयं समाज का एक अंग थे अतः निश्चित रूप से वह भी समाज से प्रभावित थे इसीलिए उन्होंने समाज को अपने साहित्य का एक अभिन्न अंग बनाया।

Renowned Canadian communication theoristMarshall Mc Luhan Said- “Medium is the Message”. With the advent of the 21st Century, there has been exponential Technological advancement and because of this, the mode of media consumption has witnessed a drastic change. This shift from traditional media has resulted in a new form of content being desired by the audience, that is not constrained by the limitation of censorship.

An attempt is made to analyse the performance and impact of Gramin Bank of Aryavart in Lucknow district through various parameters collected from bank officials such as number of employees, number of accounts, advances and deposits mobilization and from customers such as sources of information, staff co-operation, decadal difference and suggestions provided by account holders/customers. For the analysis of the qualitative research excel functions of sum, count and proportion has been used. As the collected raw data was in sentence and paragraph form the data was edited, coded, themed and analysed. The study has analysed that even though the woring of GBA has considerably declined, the progress, performance and impact of GBA has significantly improved over time with scope of improvement. The study has reported that there is significant improvement in working of GBA in urban and rural areas and it is also noticable that facilities provide by GBA has increased over a decade.

प्रस्तुत शोध आलेख में उपभोक्तावादी संस्कृति से उपजी समास्याआें पर विचार किया गया है एवं वर्तमान समय में कारोना महामारी एक मानव जीवन पर प्रभाव को समझाया गया हैं कि कोराना महामारी का मानव पर प्रभाव घातक है किन्तु यह प्रकृति के लिए शुभ संकेत है। नदियॉ सदानीरा हो रही हैं। आलेख मे रहीम के दोहे द्वारा समझाया गया हैै कि आपदा या विपत्ति में ही अपने परायें की पहचान होती है, लेख में साहित्यक प्रवृत्तियों पर विचार किया गया है कि साहित्यकार को आदिकवि बाल्मीकि और वेदव्यास की श्रेणी का होना चाहिए। लेखक जब मनाशक्त भाव से रचना करता है तो उसकी आत्मानुभूति सामान्य जन की अनुभूति हो जाती है। अतः लेखक को अनाशक्त भाव से रचना करनी चाहिए।

आलेख में वर्तमान साहित्य के प्रसंग में यह समस्या उठाई गई है कि वर्तमान साहित्य आपसी विद्वेष एवं निम्न जीवन मूल्यों के कारण  साहित्य के श्रेष्ठ मूल्यों पर खरा नही उतर रहा है। अतः साहित्यकार को बुद्धि संवेदनाओं के सहचर द्वारा साहित्य सर्जन करना चाहिए। आलेख में भिखारी ठाकुर के लोक नाट्य की प्रस्तुत ‘बेटी बेच‘ कुप्रथा के सत्य को उजागर किया है। अतः साहित्य का लक्ष्य भी समाज में सत्य को उजागर करना है

रामकथा पर आधारित उपन्यासों की कथा यद्यपि सभी के लिए सर्वविदित है परन्तु नरेन्द्र कोहली ने प्रचलित रामकथा से बिल्कुल अलग हटकर एवं तर्कयुक्त तथा वैज्ञानिक रामकथा को प्रकट किया। वे कहते है वैसै भी मेरा लक्ष्य अवतार के कारणों का वर्णन न होकर अन्याय का विरोध करना था। ल्योतार टोटेलिटी के विरुद्व है। उत्तर आधाुनिकता की परिभाषा देते हुए वह कहते है हमें सकलता के खिलाफ युद्व छेड देना चाहिए, इसकी अपेक्षा हमारी सक्रियता विशिष्टता के प्रति होनी चाहिए। इस शोध पत्र में रामकथा के ऐेसे ही पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है।

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5. भारतीय विश्वविद्यालयों में मानविकी एवं सामाजिक विज्ञानं के अधिकांश शोध हैं –
 
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